भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हम बच्चे हैं / चिरंजीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हम बच्चे हैं |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=हम बच्चे हैं
+
|रचनाकार=चिरंजीत
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=

09:43, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

हम बच्चे हैं छोटे-छोटे, काम हमारे बड़े-बड़े!
आसमान का चाँद हमीं ने-
थाली बीच उताराहै,
आसमान का सतरंगा-
वह बाँका धनुष हमारा है।
आसमान के तारों में वे तीर हमारे गड़े गड़े!
भरत रूप में हमने ही-
तो दाँत गिने थे शेरों के,
और राम बन दाँत किए थे-
खट्टे असुर लुटेरों के।
कृष्ण कन्हैया बनकर हमने नाग नथा था खड़े-खड़े!
बापू ने जब बिगुल बजाया
देश जगा हम भी जागे,
आज़ादी के महासमर में
हम सब थे आगे-आगे।
इस झंडे की खातिर हमने कष्ट सहे थे बड़े-बड़े!