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दही-बड़े हम  
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दही-बड़े हम दही बड़े!
दही-बड़े
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दौड़े आओ, मत शरमाओ
दौड़े आओ  
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खाओ भाई खड़े-खड़े!
मत शरमाओ ,
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खाओ भाई खड़े-खड़े
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स्वाद मिलेगा कहीं न ऐसा,
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चखकर देखो फेंको पैसा।
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टाफी-च्यूंगम, आइसक्रीम के
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पल में लो झंडे उखड़े।
  
स्वाद मिलगा
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अजब-अनोखा रंग जमाया,
कहीं न ऐसा
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डंका हमने खूब बजाया।
चखकर  देखो,
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आ ठेले पर, खड़े हुए हैं,
फेंको पैसा
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लाला, बाबू बड़े-बड़े।
बड़ी चटपटी
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हँसी हमारी ,
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खट्टे-मीठे हैं  नखरे ।
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अपनी मस्ती, अपनी हस्ती,
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खा करके आती है चुस्ती।
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तबियत कर दें खूब झकाझक-
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अगर कोई इमसे अकड़े।
  
डंका हमने
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पेड़ा, बरफी चित्त पड़े हैं,
ख़ूब बजाया,
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रसगुल्ले उखड़े-उखड़े हैं।
अजब अनोखा
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भला किसी की यह मजाल जो
रंग जमाया
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आकर के हमसे झगड़े।
ठेले पर हैं  
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खड़े हुए
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लाला, बाबू बड़े-बड़े ।
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दही-बड़े हम
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दही-बड़े ।
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18:21, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

दही-बड़े हम दही बड़े!
दौड़े आओ, मत शरमाओ
खाओ भाई खड़े-खड़े!

स्वाद मिलेगा कहीं न ऐसा,
चखकर देखो फेंको पैसा।
टाफी-च्यूंगम, आइसक्रीम के
पल में लो झंडे उखड़े।

अजब-अनोखा रंग जमाया,
डंका हमने खूब बजाया।
आ ठेले पर, खड़े हुए हैं,
लाला, बाबू बड़े-बड़े।

अपनी मस्ती, अपनी हस्ती,
खा करके आती है चुस्ती।
तबियत कर दें खूब झकाझक-
अगर कोई इमसे अकड़े।

पेड़ा, बरफी चित्त पड़े हैं,
रसगुल्ले उखड़े-उखड़े हैं।
भला किसी की यह मजाल जो
आकर के हमसे झगड़े।