भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पापा, तंग करता है भैया / प्रकाश मनु" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:25, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

पापा, तंग करता है भैया!

कार तोड़ दी इसने मेरी
फेंक दिए दो पहिए दूर,
हार्न टूटकर अलग पड़ा है
बत्ती कर दी चकनाचूर।
कहता-पापा से मत कहना,
ले लो मुझसे एक रुपैया!

लकड़ी का था मेरा हाथी
इसने दोनों कान उखाड़े,
हिरन बनाए थे मैंने जो
कापी से वो पन्ने फाड़े।
तोड़-फोड़ डाली, जो मम्मी
मेले से लाई थी गैया!

इसने ले ली गुड़िया मेरी
ठुमक-ठुमक पीती जो पानी,
एक नहीं, करता रहता है
हरदम ऐसी ही मनमानी।
गुड्डा मेरा चुरा लिया है-
कहता-ले लो चोर-सिपैया!