भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खटपट-खटपट / गोपीचंद श्रीनागर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपीचंद श्रीनागर |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:26, 4 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
कोयल दीदी
खाकर गाती-
मीठे, मीठे आम रे!
गिल्लो रानी
कुटकुट खाती
बैठी ले बादाम रे।
गौरैया जी
बैठ डाल पर
करती हैं आराम रे।
सूरज दादा
लौट चले हैं
ढल जाती जब शाम रे।
खेल-कूदकर
हम भी चल दें
अपने-अपने काम रे।
मीठी मम्मी
घर में करती
खटपट-खटपट काम रे।
डगमग-डगमग
बाबा चलते
पकड़ लकड़िया थाम रे।
आँख मूँदकर
मेरी दादी
लेती हरि का नाम रे।
-साभार: नंदन, दिसंबर, 1996, 30