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"मरघट / पृथ्वी पाल रैणा" के अवतरणों में अंतर

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22:09, 4 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

ज़िंदगी थी जब तलक
मरघट से डरते थे मगर,
उठ गई अर्थी तो
फिर मरघट था यह सारा जहान ।