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"घर की खेती / पृथ्वी पाल रैणा" के अवतरणों में अंतर

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22:17, 4 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

अश्रुजल से प्यास बुझे तो
पी लो जितना पीना है
आंसू तो घर की खेती है
दर्द से हारे लोगों की