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"मक्की और चक्की / जगदीशचंद्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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05:35, 6 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

हिरन कहीं से लेकर आया
बोरे में भर मक्की,
उसकी घरवाली जंगल में
लगी पीसने चक्की।
निकला कोई शेर उधर से
करने सैर-सपाटा,
प्राण बचाकर हिरनी भागी
धरा रह गया आटा।