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"कबाड़ी की गाड़ी / जगदीशचंद्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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पीपल के नीचे रहता था
चूहा एक कबाड़ी,
दो-दो मेढक जोत-जोतकर
खूब चलाता गाड़ी।
सीधा-सादा पथ हो चाहे
उबड़-खाबड़ झाड़ी,
बड़े मजे से उचक-उचककर
चलती उसकी गाड़ी।