भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चाट वाला / विनोदचंद्र पांडेय 'विनोद'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोदचंद्र पांडेय 'विनोद' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:45, 6 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

आ गया, चाट वाला आया।
ले आया आलू की टिकिया
काबुली मटर बढ़िया-बढ़िया,
है लिए बताशे पानी के,
झट मुँह में पानी भर आया।

बेचता समोसे गरम-गरम,
रखे हैं खस्ते नरम-नरम,
पपड़ी है कितनी मजे़दार,
है स्वाद पकौड़ी का भाया।

प्यारे-प्यारे हैं दही-बड़े,
हैं सभी खा रहे खड़े-खड़े,
हैं छोले और भटूरे भी,
आ गया मजा जिसने खाया!

-साभार: आओ गाएं गीत, सं. श्यामसिंह ‘शशि’, 1996