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"गुड़िया रानी हुई सयानी / सुरेश सपन" के अवतरणों में अंतर
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मेरी गुड़िया रानी देखो-
जब से हुई सयानी,
घर भर में करती फिरती है
नई-नई शैतानी!
मम्मी जब खाना लाती है
इधर-उधर छिप जाती है
आँख बचाकर दूध-मलाई
झटपट, चट कर जाती है।
पकड़े जाने पर हँसती है,
शैतानों की नानी!
पहन के चश्मा दादी जी क
सब पर रौब जमाती है,
दादा जी की छड़ी दिखाकर
बच्चों को धमकाती है।
नहीं मानती बात किसी की,
करती है मनमानी!
पढ़ने में भी तेज बहुत है
पहला नंबर पाती है,
खेल-कूद में सबसे आगे
रहकर मेडल लाती है।
उसकी बुद्धि पर होती है
हम सबको हैरानी!