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"मचा तहलका / उमाकांत मालवीय" के अवतरणों में अंतर

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02:08, 7 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

बैठ पेड़ पर मछली सोचे
अब क्या होगा राम,
नज़ला हुआ मगर मामा को
मुझको हुआ जु़काम।

छाँय छाँय कर मेढक जी ने
छींका क्या दो बार,
पोखर भर में मचा तहलका
मेढक जी बीमार।

भागा पोखर से तब कछुआ
सिर पर रखकर पाँव,
लेकिन देखा छाँय-छाँय कर
छींके सारा गाँव।