भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कोई ला के मुझे दे / दामोदर अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दामोदर अग्रवाल |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:18, 7 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

कुछ रंग भरे फूल
कुछ खट्टे-मीठे फल,
थोड़ी बाँसुरी की धुन
थोड़ा जमुना का जल

कोई ला के मुझे दे!
एक सोना जड़ा दिन
एक रूपों भरी रात,
एक फूलों भरा गीत
एक गीतों भरी बात-
कोई ला के मुझे दे!

एक छाता छाँव का
एक धूप की घड़ी,
एक बादलों का कोट
एक दूब की छड़ी-
कोई ला के मुझे दे!

एक छुट्टी वाला दिन
एक अच्छी-सी किताब,
एक मीठा-सा सवाल
एक नन्हा-सा जवाब-
कोई ला के मुझे दे!