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"अपना घर / प्रभाकिरण जैन" के अवतरणों में अंतर

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04:17, 7 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

माँ, क्या हो सकता है ऐसा
जादू वाला घर हो अपना,
जहाँ धूप हो उसी दिशा में
घर का दरवाजा हो अपना?

हो न अँधेरा, रहे उजाला
जहाँ बना हो अपना घर,
माँ, बतलाऊँ सच्ची-सच्ची
मुझे रात को लगता डर।