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"मन करता है / कमलेश भट्ट 'कमल'" के अवतरणों में अंतर

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04:57, 7 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

मन करता है, किसी रात में
चुपके से उड़ जाऊँ,
आसमान की सैर करूँ फिर
तारों के घर जाऊ
देखूँ कितना बड़ा गाँव है
कितनी खेती-बारी,
माटी-धूल वहाँ भी है कुछ
या केवल चिनगारी।
चंदा के सँग क्या रिश्ता है
सूरज से क्या नाता
भूले-भटके भी कोई क्यों
नहीं धरा पर आता।
चाँदी जैसी चमक दमक, फिर
क्यों इतना शरमाते,
रात-रात भर जागा करते
सुबह कहाँ सो जाते?