भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पवन-झकोरा / मोहम्मद अरशद खान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद अरशद खान |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:56, 7 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
पवन-झकोरा कितना नटखट,
दरवाजों को खोला खटखट।
खींच रहा साड़ी का पल्ली,
ढाँप रहा है भूसा, कल्लू।
दादा जी को मिला न मौका,
कनकइया बन गया अँगौछा।
सूखे पत्ते उड़े दुआरे,
मुनिया बारंबार बुहारे।
रोता है बेचारा बनिया,
हवा ले गई उसका धनिया।
परेशान हैं मोटू लाला,
निकल गया उनका दीवाला।
बिखर गई नोटों की गड्डी,
गिरे फिसल कर टूटी हड्डी।
उड़ी धूल, सब घर में भागे,
पवन-झकोरा भागा आगे।