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"सौन्दर्य लहरी / भूमिका / आदि शंकराचार्य" के अवतरणों में अंतर
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श्रीविद्या की उपाश्ना सच्चिदानंद परब्रह्म की ही उपाशाना है | जिसे परा शक्ति की उपाशाना | श्रीविद्या की उपाश्ना सच्चिदानंद परब्रह्म की ही उपाशाना है | जिसे परा शक्ति की उपाशाना | ||
कहा है | श्रीविद्या और ब्रह्म एक ही हैं| ब्रह्म प्रकाश स्वरूप है, श्रीविद्या विमर्ष रूपा है|अनुभव | कहा है | श्रीविद्या और ब्रह्म एक ही हैं| ब्रह्म प्रकाश स्वरूप है, श्रीविद्या विमर्ष रूपा है|अनुभव | ||
− | गम्य ब्रह्मज्ञान श्रीविद्या की उपशना से ही प्राप्त हो सकता है| | + | गम्य ब्रह्मज्ञान श्रीविद्या की उपशना से ही प्राप्त हो सकता है|(शेष बाद में).... |
07:29, 10 अक्टूबर 2015 का अवतरण
महाप्रभु श्रीमद आदि शंकराचार्य ने श्रीविद्या के उपाशकों के लिए सौन्दर्य लहरी की रचना की|
श्रीविद्या की उपाश्ना सच्चिदानंद परब्रह्म की ही उपाशाना है | जिसे परा शक्ति की उपाशाना
कहा है | श्रीविद्या और ब्रह्म एक ही हैं| ब्रह्म प्रकाश स्वरूप है, श्रीविद्या विमर्ष रूपा है|अनुभव
गम्य ब्रह्मज्ञान श्रीविद्या की उपशना से ही प्राप्त हो सकता है|(शेष बाद में)....