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"शाम ढली सन्नाटा बिखरा गाँव में साँवली रात हुई / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'" के अवतरणों में अंतर
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22:25, 11 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
शाम ढली सन्नाटा बिखरा गाँव में साँवली रात हुई
फूलों से फिर ख़ुश्बू निकली और हवा के साथ हुई
तैर रहा था काले जल पर रौशनियों से शह्र मिरा
लेकिन तुम आये तो जैसे चांदी की बरसात हुई
होंठों से दिनभर की चुप्पी वरना टूट नहीं पाती
शाम ढली थोड़ी से पी ली होंठ खुले बरसात हुई
मैं तुमसे... कह कर जो उसने अपना जुमला तोड़ा था
बरसों में जाकर वो शायद आपसे पूरी बात हुई