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"मिरी नज़र के आमने धुआँ-धुआँ-सा छा गया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'" के अवतरणों में अंतर

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22:29, 11 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

मिरी नज़र के सामने धुआँ- धुआँ-सा छा गया
कि रौशनी चिराग़ की न जाने कौन खा गया

थकी-थकी-सी ज़िन्दगी की शाम भी कहाँ हुई
मैं ख़ुद को ढूँढते हुए जब उसके दर पे आ गया

ये सर्द रात का सफ़र न घर कहीं न रहगुज़र
न वापसी का ही कोई वो रास्ता बता गया

हर इक ख़ुशी दबे क़दम ठिठक के दूर हट गई
दुखों की रात में कोई मेरा पता बता गया