भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बदलियाँ जाने किस दयार में हैं / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']] }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:37, 11 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
बदलियाँ जाने किस दयार में हैं
लोग पानी के इंतज़ार में हैं
तुम मसीहा की सफ़<ref>पंक्ति</ref> में बैठे हो
हम दवाओं के इश्तिहार में हैं<ref>विज्ञापन</ref>
यूँ सुहागिन -सी हो गई आँखें
सुर्ख़ फूलों के अख़्तियार में हैं<ref>अधिकार, प्रभाव</ref>
सूखने तो लगी हैं दीवारें
अब चटख़ने के इंतिज़ार में हैं
शामियाना जला के छोड़ेंगे
जो उजालों के इन्तिज़ार में हैं
अगली पीढ़ी को जो बचाएगी
हम शहीदों की उस क़तार में हैं
शब्दार्थ
<references/>