भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तीन औरतें / इन्दु जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इन्दु जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:59, 13 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

एक औरत
जो महीना भर पहले जली थी
आज मर गयी
एक औरत थी
जो यातना सहती रही
सिर्फ पांव की हड्डी टूट जाने से
बहाना ढूंढ बैठी न जीने का
दिल जकड़ लिया
मर गयी

बरसों पहले हुआ करती थी
एक लड़की
याद आती है
अच्छी खासी समझदार और दबंग
अनचाहे ब्याह
नेहहीन मातृत्व से रोगी हुई
छोड़ दी दवा
वो भी मर गयी अपनी इच्छा से

तीन मौतें जब राहत देने लगें
मरने और खबर सुनने वालों को
कहीं जबरदस्त गड़बड़ है
घाव बहुत गहरा
संवेदना हादसा है
गठे हुए समाज में
गठान गांठ है
गांठ फांसी का फंदा

जब इन्सान हद से बढ़कर
हिम्मत करता है
जीने के लिए जान दे देता है
तब मर जाता है इतिहास
पुस्तकालय संग्रहालय
धू धू जलने लगते हैं
आदमी अपन गर्दन
हाथ पर उठाए
हाट में निकल आता है
मरने वाला अपने साथ
तमाम को लिए चला जाता है

खांसने लगता है साहित्य
कविता थूक के साथ खून उगलने लगती है!