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"पहचान / स्नेहमयी चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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वह क्रांति का जामा नहीं पहनेगी
 
वह क्रांति का जामा नहीं पहनेगी
 
 
न विद्रोह की आग में ही जलेगी
 
न विद्रोह की आग में ही जलेगी
 
 
न किसी को तोड़कर फेंकेगी
 
न किसी को तोड़कर फेंकेगी
 
 
न स्वयं को टूटने देगी
 
न स्वयं को टूटने देगी
 
 
फिर वह क्या करेगी?
 
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न वह जलता हुआ अंगार बनेगी,
 
न वह जलता हुआ अंगार बनेगी,
 
 
न बुझती हुई राख
 
न बुझती हुई राख
 
 
न पक्षी की तरह
 
न पक्षी की तरह
 
 
उड़ने की कामना करेगी
 
उड़ने की कामना करेगी
 
 
न शुतुर्मुर्ग की तरह
 
न शुतुर्मुर्ग की तरह
 
 
एक कोने की तलाश
 
एक कोने की तलाश
 
 
न खड़ी रहेगी, न भागेगी
 
न खड़ी रहेगी, न भागेगी
 
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संघर्षों का आह्वान करेगी
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न ठुकराएगी
 
न ठुकराएगी
 
 
क्यों कि यह सब वह नहीं कर सकती?
 
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उसे अपनी शक्ति और सीमा
 
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दोनों की पहचान है
 
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वह एक जीवन जिएगी
 
वह एक जीवन जिएगी
 
 
जो सुबह की तरह ताज़ा होगा
 
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लेकिन उसका समय तो बीत गया
 
लेकिन उसका समय तो बीत गया
 
 
फिर दोपहर के  
 
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सूरज की तरह चमकेगी
 
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वह भी तो ढल गया
 
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अच्छा तो ढलते
 
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सूरज के साथ-साथ ढलेगी
 
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शाम होने तक</poem>
शाम होने तक
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23:24, 13 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

वह क्रांति का जामा नहीं पहनेगी
न विद्रोह की आग में ही जलेगी
न किसी को तोड़कर फेंकेगी
न स्वयं को टूटने देगी
फिर वह क्या करेगी?

न वह जलता हुआ अंगार बनेगी,
न बुझती हुई राख
न पक्षी की तरह
उड़ने की कामना करेगी
न शुतुर्मुर्ग की तरह
एक कोने की तलाश
न खड़ी रहेगी, न भागेगी
न संघर्षों का आह्वान करेगी
न ठुकराएगी
क्यों कि यह सब वह नहीं कर सकती?
उसे अपनी शक्ति और सीमा
दोनों की पहचान है
वह एक जीवन जिएगी
जो सुबह की तरह ताज़ा होगा
लेकिन उसका समय तो बीत गया
फिर दोपहर के
सूरज की तरह चमकेगी
वह भी तो ढल गया


अच्छा तो ढलते
सूरज के साथ-साथ ढलेगी
शाम होने तक