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"ये रास्ता / पद्मा सचदेव" के अवतरणों में अंतर

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23:40, 13 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

तुम्हें मालूम था
यह राह वहां नहीं निकलती
जहां पहुंचना है मैंने
तुम उस तरफ जा भी नहीं रहे थे
फिर भी तुम चलते रहे
मेरे साथ-साथ
ये राह तो समाप्त नहीं हो रही
हम दोनों प्रतीक्षा में हैं
मैं अपनी मंज़िल की
तुम मेरी राह की
जाओ तुम वापिस चले जाओ
मैं अपनी राह खुद ही ढूंढ़ लूंगी
राह न मिली तो बना लूंगी
मुझे राह बनानी आती है!