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"पाँच : पाँचवे पुरखे की कथा / धूमिल" के अवतरणों में अंतर
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बदल लेते हैं । | बदल लेते हैं । | ||
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अगर वह अपनी छाती पर एक कील | अगर वह अपनी छाती पर एक कील | ||
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उस भूखे लड़के की देह पर एक तख़्ती लटका | उस भूखे लड़के की देह पर एक तख़्ती लटका | ||
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"यह 'संसद' है-- | "यह 'संसद' है-- | ||
:::यहाँ शोर करना सख्त मना है ।" | :::यहाँ शोर करना सख्त मना है ।" |
00:51, 5 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण
उनके लिए पूजा-पाठ :
- केवल ढकोसला था
ऎसे अहिंसक कि--
- उनकी बन्दूक में
- बया का घोंसला था
ऎसे थे संयमी कि--
- औरत जो एक बार
- जांघ से उतर गई
- उनके लिए मर गई
- चतुरी चमार की
- लटुरी पतौह को
- xxxxxxxxx
रात भर जूझते हैं देह के अंधेरे में
और सुबह हम अपनी
खाइयाँ
बदल लेते हैं ।
- xxxxxxxxx
अगर वह अपनी छाती पर एक कील
- गाड़ने दे तो सोचता हूँ--
उस भूखे लड़के की देह पर एक तख़्ती लटका
- दूँ ।
"यह 'संसद' है--
- यहाँ शोर करना सख्त मना है ।"