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"धमकी / किरण अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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10:53, 15 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

उन्होंने मुझे धमकी दी
‘जो कुछ तुम कर रही हो अच्छा नहीं कर रही हो
वापस लौट आओ
हमारा कहा नहीं मानेगी तो मारी जाओगी
जान प्यारी है तो वापस लौट आओ’

मैंने कहा ‘मुझे जान प्यारी नहीं है
तुम चाहो तो मार सकते हो मुझे’

उन्होंने एक तमंचा निकाला
और मेरी कनपटी से लगा दिया
‘अब क्या कहती है जबान-दराज़ औरत!’

‘अब भी मेरा वही कहना है
तुम चाहो तो खुशी से मार सकते हो मुझे’

उन्होंने तमंचा मेरी कनपटी से हटाकर
वापस अपनी जेब में डाल लिया!