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सेवा में रख लो मुझे अपनी
जीवन-भर
चाहती हूँ मैं श्वास लेना तुम्हारे अन्दर
प्यासी हूँ मैं तुम्हारी
करती हूँ पान तुम्हारा शब्द प्रतिशब्द
मेरे स्रोत
तुम्हारे क्रोध की चिंगारी
जाड़े का शब्द
सुन्दर नीला रंग
खिलता है मुझमें
बसन्त का शब्द
पीछा करती हूँ मैं तुम्हारा
नींद आने तक
उच्चारण करती हूँ सपनों का तुम्हारे
समझते हैं हम शब्द एक दूसरे के
प्रेम करते हैं हम एक दूसरे से II
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित