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"जहाँ होना लिखा है तुम्हारा (कविता) / पारुल पुखराज" के अवतरणों में अंतर
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निषिद्ध
हैं कुछ शब्द
जीवन में
जैसे कुछ
जगहें
अंधी कोई
बावड़ी
जैसे
सिसकी अधूरी
सूना
आकाश
व्यक्त हो जिनमें तुम
जहाँ होना लिखा है तुम्हारा