भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वो दर्द लायें कहाँ से कही हुई बातें / ज़ाहिद अबरोल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़ाहिद अबरोल |संग्रह=दरिया दरिया-...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:19, 31 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
वो दर्द लायें कहां से कही हुई बातें
जो दर्द दिल में जगाती हैं अनकही बातें
हर एक शख़्स को कमतर समझने लगते हैं
कुछ एक लोग बना कर बड़ी बड़ी बातें
किसी दुकान पे इन को सजा नहीं सकता
हसीं हैं वरना तुम्हारी तरह मिरी बातें
जिन्हें ग़रूर था ख़ुद अपनी पाकबाज़ी पर
तवाइफ़ों की तरह बिक गईं वही बातें
है किस के पास वो फुर्सत कि सुन सके “ज़ाहिद”
ग़म-ए-हयात मंे डूबी हुई मिरी बातें
शब्दार्थ
<references/>