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"अंधारै रो बीज बणूं कीकर / रचना शेखावत" के अवतरणों में अंतर
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म्हैं सूरज सूं तूट’र
नाकै होयगी
पण अजै ई
अंधारै नैं कैवो
म्हनैं
मारग दीसै है
सैंग च्यानणो
म्हारी
बाट अडीकै है।