भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जूझ / गौतम अरोड़ा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम अरोड़ा |संग्रह=मंडाण / नीरज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:57, 7 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

नवा सबद
आडा-टेडा भाव
काचा-पाका अरथ
नवी कलम सूं
मांडू
नवै कागद
नवी कविता सारूं
पण कठै सूं लावू
नवी पीड़, नवी प्रीत, नवी जूण,
नवी जूझ अर नवी झाळ....
 
बदळग्या हथियार स्यात
तरीको नवो होयग्यो
पण वठै री वठै है
पीढियां जूनी पीड
बरसां-बरस चालता जुध
जुगां जूनी कळपती झाळ
अर रोटी, कपड़ां, मकान सारूं
मिनखाजूण री सागण जूझ....!