भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कश्तियों वाला सफर था और हम थे / सत्य मोहन वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्य मोहन वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:57, 10 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

कश्तियों वाला सफर था और हम थे
नाख़ुदाओं का भी दर था और हम थे

बारिशों का, बादलों का और बिजली का
बादबानों पर कहर था और हम थे

सोच में डूबे हुए रहते थे क्या करते
धड़ के ऊपर एक सर था और हम थे

शाम से तन्हाईयाँ आकर जकड़ती थीं
मुब्तला यादों से घर था और हम थे

घूमती थी ज़िन्दगी कश्कोल लेकर के
आब ओ दाना मुन्तज़र था और हम थे

थी बहुत दिल में उडानों की हवस
हाथ में तितली का पर था और हम थे.