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"मेरी कविता अचूक होगी / मुकेश चन्द्र पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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04:12, 28 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

मेरी कविता अचूक होगी,
कई अवरोधों को भेदती सीधी जा गड़ेगी
उन छातियों में जहाँ दिल होगा...

क्योंकि आंतरिक घाव कभी नहीं भरते
बल्कि वक़्त द्वारा रचे षड्यंत्र के अंतर्गत
उनके साथ जीने की बुरी आदत पड़ जाती है।

इसलिए चोटों को सहलाने वाले कोमल हाथों से
ज़रूरी है ख़ुरदुरे स्पर्श,
सहानुभूति से अधिक ज़रूरी है धिक्कार,
मरहम से अत्यधिक ज़रूरी है नमक !

जिस प्रकार मृत्यु जैसे आरामदेह विकल्प से
कहीं अधिक ज़रूरी है दुष्कर जीवन..!!