भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बिल्ली / मुइसेर येनिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुइसेर येनिया |अनुवादक=मणि मोहन |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

07:22, 7 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

शाम के वक़्त
एक ठण्डे बस-स्टॉप पर
एक बड़ी बिल्ली
अन्धकार में
मेरा पूरा प्रेम पी गई

मैं उसका फर हूँ
मैंने भींचा उसे, छोड़ा नहीं

बादल टुकड़ों में गिरने लगे
मानो वे पर्याप्त हों धरती के लिए

बिल्ली की छत्त थे कान
पंजे उसका घर

उसके दुःख और ख़ुशी
ऐसी जगहें जहां कोई नहीं रहता

और वहाँ
मैंने उसे आलिंगन में लिया
अपनी पूरी बाँहों में भर लिया ।