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"बात है दरअस्ल हम ख़ुद से खफा हैं / उर्मिला माधव" के अवतरणों में अंतर

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04:37, 9 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

 बात है दरअस्ल हम ख़ुद से खफा हैं,
जो हुआ करते थे हम अब वो कहाँ हैं,

हम नहीं बोलेंगे ख़ुद से तब तलक अब,
जब तलक दिल में जहाँ के ग़म निहाँ हैं,

हमने अपने वास्ते सोचा न कुछ भी,
उस पे ये इल्ज़ाम हम पर,बदज़ुबां हैं,

देखते भी क्या कभी खुशियों की जानिब,
हम निशाने ही फ़क़त वक़्त-ए-गिराँ हैं,

टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी बिखरी रही बस,
अपनी किस्मत में लिखे ग़म के निशाँ हैं,

यक़-ब-यक़ हमको हुआ महसूस ऐसा
दिल अकेला है ग़मों के कारवां हैं !