भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ये गुलाबी खेल / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:32, 13 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
पेट नंगे
पीठ पर गहरे छुरों के घाव
किस तरह का है भला यह गाँव
हर गली में है पड़ी
अनजान बूढ़ी लाश
भूख के अड्डे पुराने
एक गड्डी ताश
गले कपड़े
देह टूटी - हैं जुए के दाँव
किस तरह का है भला यह गाँव
हाथ में काँटे चुभे हैं
ये गुलाबी खेल
राजमहलों के पड़ोसी
हैं पुराने जेल
घर गुफाएँ
घूमते हैं जंगलों में पाँव
किस तरह का है भला यह गाँव