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"जीवन की उड़ान / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

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19:04, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

जीवन
दो मूलभूत क्षणों से मिलकर बना है

एक खुशी भरा
दूसरा दुख भरा

अब मैं
अगले दो क्षण तक जिऊंगा

पहले क्षण में
उसकी ताल पर नाचूंगा-गाऊंगा
फिर अगले पल
उदासी मुझे आगोश में ले लेगी

तीसरे ही क्षण
मैं उड़ जाऊंगा
पंखों पर
दो क्षण की स्मृतियां लिए ।