भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जीना उसी का / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>जो मर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:04, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
जो मरने से नहीं डरता
दरअसल कभी नहीं मरता
जो कभी नहीं मरता
दरअसल सदा है रहता
जो सदा है रहता
दरअसल सबमें है रहता
जो सबमें है रहता
दरअसल कभी नहीं मरता ।