भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सीधा-सादा आदमी / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>जब अत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:24, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
जब अति हो गई
तो सीधा-सादा आदमी
उठ खड़ा हुआ
बोलना शुरु किया कि
बोलते- बोलते
उसका स्वर तेज हो गया
फिर शुरु हुआ
देह में कंपन
आगे बढ़ा
अति पीछे हटी और
सीधे-सादे आदमी के बैठ जाने तक
इंतजार करने लगी ।