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                                                          Ibn-e-Inshaa
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सोचते थे कि मुंसिफ से करेंगे फरियाद
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वह भी कम्बख्त तेरा चाहने वाला निकला।

19:27, 14 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण

                                                          Ibn-e-Inshaa

अपनी आवाज में दुनिया को डुबो दूं लेकिन, तुमसे मिलती हुई आवाज कहां से लाऊं।

सोचते थे कि मुंसिफ से करेंगे फरियाद वह भी कम्बख्त तेरा चाहने वाला निकला।