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"भरपूर दुआ दो / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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जीने की भरपूर दुआ दो,
या तो सजाये मौत सुना दो.
मेरे गीतों को स्वर दे दो,
या मेरी आवाज़ दबा दो.
सारी रात जगाओ मुझको,
या तुम गाकर गीत सुला दो.
अपने सिर-माथे बैठाओ,
या मुझको नज़रों से गिरा दो.
मुझसे कह दो घर मत आना,
या फिर अपने घर का पता दो.
तुम शमशीर चलाओ मुझ पर,
या नज़रों के तीर चला दो.
माँझी मेरी नाव डुबो दो,
या दरिया के पर लगा दो.