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"खुशी मिलेगी / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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22:10, 24 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

जब भी कोई नदी मिलेगी.
सागर को जिंदगी मिलेगी.

सूरज में रोशनी रही तो,
चंदा को चाँदनी मिलेगी.

नेकी करके ये न सोचना,
नेकी या फिर बदी मिलेगी.

मीठे सपने नमी आँख में,
रहने दो, चाशनी मिलेगी.

मन खुश हो तो खुशी तभी है,
तुमसे मिलकर खुशी मिलेगी