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"एक प्यारी ग़ज़ल / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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01:18, 25 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

देख तुमको कही एक प्यारी ग़ज़ल.
छू रही है दिलों को हमारी ग़ज़ल.

लोग तारीफ हमसे हमारी करें,
जबकि सच है कि है ये तुम्हारी ग़ज़ल.

सोते-जगते तुम्हीं याद आते रहे,
ऐसे तुमने सजायी-सँवारी ग़ज़ल.

इक ग़ज़ल पर ग़ज़ल हमने कह दी ज़रा,
सबको लगने लगी सबसे न्यारी ग़ज़ल.

शुक्रिया उस ख़ुदा का करें किस तरह,
जिसने धरती पर ऐसी उतारी ग़ज़ल.