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"दुनियादारी रख / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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रख दुश्मन से यारी रख.
फिर भी कुछ तैयारी रख.
दिल में नरमी रख लेकिन,
तेवर में खुद्दारी रख.
बाहर राख लपेटे रह,
भीतर इक चिन्गारी रख.
हार-जीत की फिक्र न कर,
अपनी लड़ाई जारी रख.
चुप रहना है चुप रह जा,
बात अगर रख भारी रख.
जब तक है इस दुनिया में,
कुछ तो दुनियादारी रख.