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"गाओ ना / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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इतनी कसमें खाओ ना.
सच्ची बात बताओ ना.
क़ीमत समझो अश्क़ों की,
इनको यों छलकाओ ना.
वो सब कुछ दे सकता है,
दामन तो फैलाओ ना.
अँधियारे से लड़ना है,
कोई दीप जलाओ ना.
कहते हो सब कर लोगे,
कुछ करके दिखलाओ ना.
जो कहना है है साफ़ कहो,
बातों में उलझाओ ना.
जब-तब जाने धमकी,
जाते हो तो जाओ ना.
आज ग़ज़ल मेरी कोई,
अपने सुर में गाओ ना.