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"याद जो आई तो / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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09:16, 25 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

उसकी याद जो आई तो.
डसने लगी तनहाई तो.

जिसकी क़समें खाते हो,
उसने क़सम ना खाई तो.

उससे बिछड़ कर रह लोगे,
पर जो चली पुरवाई तो.

नींद की गोली खाकर भी,
तुमको नींद न आई तो.

वो मूरत खजुराहो की,
उसने ली अँगड़ाई तो.

माना कुछ न कहोगे तुम,
आँख मगर भर आई तो.