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"कुछ कहता तो / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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09:16, 25 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

थोड़े दिन सँग रहता तो.
वो मुझसे कुछ कहता तो.

मेरे आगे बर्फ़ रहा,
पानी था तो बहता तो.

वो कुंदन बन सकता था,
लेकिन आग में दहता तो.

इतनी जल्दी टूट गया.
बोझ ज़रा सा सहता तो.

जब खुद ही दीवार बना,
तो पहले वो ढहता तो.

मज़िल तक पहुँचाता मैं,
हाथ वो मेरा गहता तो.