भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दोहे / पृष्ठ ७ / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:04, 27 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

61.
दोहा चौपाई गजल गीत सवैया छन्द.
कविता की हर इक विधा का तुझमें आनन्द.

62.
इक-दूजे के ख्वाब से हम करते हैं प्यार.
इसीलिये हमको यकीं वे होंगे साकार.

63.
किसी व्यक्ति या टिप्पणी से मत हों गमगीन.
बिना आपकी प्रतिक्रिया दोनों शक्तिविहीन.

64.
सूखे के सँग बाढ़ क्या देखी है इक साथ.
तुम बिन चेहरा जर्द है आँखों में बरसात.
 
65.
तुम गीतों के संकलन मैं छोटा सा गीत.
किसी पृष्ठ पर कुछ जगह मुझको दो दो मीत.
 
66.
प्रियतम तेरे प्यार का यह मधुमय परिणाम.
नाम किसी का लूँ मगर निकले तेरा नाम.
 
67.
कब आयेगा पूछते मुझसे सौ-सौ बार.
तेरा रस्ता देखते देहरी-आँगन-द्वार.

68.
इधर-उधर झलके कभी फिर वो जाये डूब.
लुका-छिपी का खेल भी चंदा खेले खूब.

69.
ना पहले से दिन रहे ना पहले सी रात.
ना पहले सा मौन है ना पहले सी बात.
 
70.
वो किससे कैसे कहे अपने मन की पीर.
है न गले में अब पड़ी पैरों में जंजीर.