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"बरसात में भींगती हुई लडक़ी – दो / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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16:28, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
बरसात में भींगती हुई लड़की – दो
बरसात में भींगती हुई लड़की
ठण्ड से कम
उस पर पड़नेवाली निगाहों से
ज्यादा सिकुड़ रही है
वह सिकुड़ रही है
और काँप भी रही है
जैसे बरदाश्त से बाहर होने पर
काँपती है धरती
झ्स काँपती और सिकुड़ती हुई लड़की को देखना
थरथराती हुई धरती को देखने जैसा है।