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उसकी दूकान पर टँगी
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ठीक समय का पता होता तो
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इसमें क्यों फोड़ता अपनी आँखें
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एक समय था जब रेडियो के समाचारों से पहले
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बताया जाता था समय
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कुछ धनी लोग इस समय से
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अपनी घड़ियाँ मिला लेते थे
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बाकियों के पास न तो घड़ी थी न रेडियो
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इसलिए उनका समय
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कभी भी ठीक नहीं होता था
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ठीक समय
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पंडितजी निकालते रहे
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पंचाँगों और पोथियों से
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और नहीं निकाला कभी भी ठीक
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अब तो नक्षत्र और तारे भी गड़बड़ाने लगे हैं
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फिर कहाँ होगा ठीक समय का पता
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चलिए दादी अम्मा के पास
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सुनते हैं कोई किस्सा कहानी
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मिल जाए शायद
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किसी राजा के तहख़ाने में बन्द
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ठीक समय।
  
  
 
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16:40, 2 जनवरी 2016 का अवतरण

ठीक समय


घण्टा घर की घड़ी में
सुबह के दस बज रहे थे

जो साइकिल पर टिफिन लटकाये
गुजरा है अभी-अभी
उसकी घड़ी में सुबह के आठ

कार से कीचड़ उड़ाते हुए
जो महानुभाव गुजरे हैं अभी-अभी
उनकी घड़ी में रात के बारह

सामने बैठा बनिया बार-बार
अपनी देशी घड़ी को आगे बढ़ा रहा है
सेल्समैन की विदेशी घड़ी से
पिछड़ती जा रही है उसकी घड़ी

ठीक समय जानने की गरज़ से
घड़ीसाज़ के पास पहुँचा
उसकी दूकान पर टँगी
सारी घडिय़ों में समय अलग-अलग था
अपनी आँख पर लगे लेंस को दिखाते हुए
उसने कहा
ठीक समय का पता होता तो
इसमें क्यों फोड़ता अपनी आँखें

एक समय था जब रेडियो के समाचारों से पहले
बताया जाता था समय
कुछ धनी लोग इस समय से
अपनी घड़ियाँ मिला लेते थे
बाकियों के पास न तो घड़ी थी न रेडियो
इसलिए उनका समय
कभी भी ठीक नहीं होता था

ठीक समय
पंडितजी निकालते रहे
पंचाँगों और पोथियों से
और नहीं निकाला कभी भी ठीक

अब तो नक्षत्र और तारे भी गड़बड़ाने लगे हैं
फिर कहाँ होगा ठीक समय का पता

चलिए दादी अम्मा के पास
सुनते हैं कोई किस्सा कहानी
मिल जाए शायद
किसी राजा के तहख़ाने में बन्द
ठीक समय।