"एक जनवरी की आधी रात को / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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इकट्ठा कर रहा था | इकट्ठा कर रहा था | ||
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− | + | नववर्ष की पार्टी की तैयारी करते समय | |
− | कुछ | + | कुछ मोमबत्तिायाँ और पटाख़े |
− | अपने | + | अपने ज़ेब के हवाले कर लिए थे |
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+ | तीनों ने एक जनवरी की आधी रात को | ||
− | + | पटाख़े इस तरह फोड़ें | |
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जैसे लोगों ने कल जो मनाया | जैसे लोगों ने कल जो मनाया | ||
वह झूठ था | वह झूठ था | ||
− | आज है असली | + | आज है असली नववर्ष |
दारू के धोवन से भरी बोतलों का | दारू के धोवन से भरी बोतलों का | ||
− | ढक्कन यूँ खोला | + | ढक्कन यूँ खोला |
जैसे शेम्पेन की बोतलों के ओपेनर | जैसे शेम्पेन की बोतलों के ओपेनर | ||
− | उनकी | + | उनकी ज़ेबों में ही रहते हैं |
जूठे केक के टुकड़े खाते हुए | जूठे केक के टुकड़े खाते हुए | ||
− | एक दूसरे को | + | एक दूसरे को दी |
− | + | नववर्ष की शुभकामनाएँ | |
− | + | पीढिय़ों से वे सारे त्यौहार | |
इसी तरह मनाते आ रहे हैं | इसी तरह मनाते आ रहे हैं | ||
− | कलैण्डर और | + | कलैण्डर और पंचाँग की तारीख़ों को |
− | चुनौती देते | + | चुनौती देते हुए। |
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16:43, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
एक जनवरी की आधी रात को
एक ने
जूठन फेंकने से पहले
केक के बचे हुए टुकड़े को
सम्भालकर रख लिया किनारे
दूसरा जो दारू के गिलास धो रहा था
खगांल का पहला पानी अलग बोतल में
इकट्ठा कर रहा था
तीसरे ने
नववर्ष की पार्टी की तैयारी करते समय
कुछ मोमबत्तिायाँ और पटाख़े
अपने ज़ेब के हवाले कर लिए थे
तीनों ने एक जनवरी की आधी रात को
पटाख़े इस तरह फोड़ें
जैसे लोगों ने कल जो मनाया
वह झूठ था
आज है असली नववर्ष
दारू के धोवन से भरी बोतलों का
ढक्कन यूँ खोला
जैसे शेम्पेन की बोतलों के ओपेनर
उनकी ज़ेबों में ही रहते हैं
जूठे केक के टुकड़े खाते हुए
एक दूसरे को दी
नववर्ष की शुभकामनाएँ
पीढिय़ों से वे सारे त्यौहार
इसी तरह मनाते आ रहे हैं
कलैण्डर और पंचाँग की तारीख़ों को
चुनौती देते हुए।