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"ग्लोब.... ग्लोब..... ग्लोबलाइजेशन / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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हम सम्मोहित हैं
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नहीं जादूगर नहीं कारीगर है
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यह किसी विकासशील देश का विकसित युवक है
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अब उत्तर एकदम सही है
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काँपी जाँचते हुए मास्टर चिल्लाया
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यह एक अपराधी है
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इसने किसी की हत्या नहीं की
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बलात्कार नहीं किया
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किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य भी नहीं है
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चोरी-चकारी-पाकेटमारी तो
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इसको शोभा नहीं देती
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फिर भी अपराधी ???
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इतना सुन्दर
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इतना सम्मोहक अपराधी !
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कैसे करे कोई विश्वास
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जिसको खुद नहीं मालूम
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उसके पैकेज में शामिल है अपराध
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उसका अपराध
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किसी न्यायालय में नहीं हो सकता सिद्ध
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सम्भ्रांत वर्ग उसके आगे नतमस्तक
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फिर भी वह अपराधी
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मास्टर बेचैन है
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जबसे उसने पढ़ी
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किसानों की आत्महत्या की ख़बर
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फुटकर विक्रेताओं की सामूहिक मौत
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फेरीवालों के कूँए में छलाँग लगाने की कथा
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तब से बेचैन है मास्टर
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मास्टर बेचैन है
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उसके कानों में बूटों की धमक गूँज रही है
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भूखा नंगा मास्टर भयभीत भी है
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भूल गया है कापी जांचना
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अपनी मेंज़ पर रखे ग्लोब को घुमाते हुए
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बड़बड़ा रहा है
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16:51, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

ग्लोब...ग्लोब...ग्लोबलाइजेशन


यह सुन्दर और छरहरा
गोरा चट्ट मासूम सा युवा
जो सटासट् अंग्रेजी झाड़ रहा है
और बार-बार अपनी टाई की गाँठ ढीली कर रहा है
हम सम्मोहित हैं
उसके ग्लोबलाइज्ड व्यक्तित्व के सामने

दरअसल यह एक जादूगर है
नहीं जादूगर नहीं कारीगर है
नहीं कारीगर ऐसे नहीं होते
यह किसी विकासशील देश का विकसित युवक है
अब उत्तर एकदम सही है
लाक कर दिया जाए

नहीं एकदम गलत
काँपी जाँचते हुए मास्टर चिल्लाया
यह एक अपराधी है
इसने किसी की हत्या नहीं की
बलात्कार नहीं किया
किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य भी नहीं है
चोरी-चकारी-पाकेटमारी तो
इसको शोभा नहीं देती
फिर भी अपराधी ???

इतना सुन्दर
इतना मासूम
इतना सम्मोहक अपराधी !

कैसे करे कोई विश्वास
कान्वेन्ट का विद्यार्थी
प्रबन्धन के शीर्ष संस्थान का शोधार्थी
अपराधी !

अपराधी !
जिसको खुद नहीं मालूम
उसके पैकेज में शामिल है अपराध
उसका अपराध
किसी न्यायालय में नहीं हो सकता सिद्ध
सम्भ्रांत वर्ग उसके आगे नतमस्तक
फिर भी वह अपराधी

मास्टर बेचैन है
जबसे उसने पढ़ी
किसानों की आत्महत्या की ख़बर
फुटकर विक्रेताओं की सामूहिक मौत
फेरीवालों के कूँए में छलाँग लगाने की कथा
तब से बेचैन है मास्टर

मास्टर बेचैन है
उसके कानों में बूटों की धमक गूँज रही है
भूखा नंगा मास्टर भयभीत भी है

भूल गया है कापी जांचना
अपनी मेंज़ पर रखे ग्लोब को घुमाते हुए
बड़बड़ा रहा है
ग्लोब...ग्लोब...ग्लोबलाइजेशन।